मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
Friday, January 4, 2008
Monday, October 8, 2007
कहाँ गये वो दोस्त
कहाँ गये वो दोस्त, जो हरदम याद किया करते थे...,
जान - बुझकर न सही, मगर भूले से भी मेल किया करते थे...,
खुशी और गम में हमारा साथ दिया करते थे...,
लगता है सब खो गया है ... प्रोजेक्ट्स की डेड्लाइन्स में...,
न अपनी न हमारी, जाने किसकी यादों में...,
ज़िन्दगी को भुला चुके हैं, नौकरी की आड में...,
हरदम फ़ँसे रहते है, अपने पी.एम. के जाल में...,
कभी आओ मिलो हमसे, बैठकर बाते करो...,
दर्द - ए- दिल अपना कहो, हाले - ए - दिल हमारा सुनो...,
क्या रंजिश, क्या है शिकवा, क्या गिला और क्या खता... ;
हम भी जाने तुम भी जानो, आखिर क्या मंज़र क्या माजरा...,
बस भी करो अब...
कह भी दो, अपने दिल का हाल,
क्या करोगे खामोश रहकर
जो चली गई ये ज़िन्दगी, चला गया ये कारवां...;
जागो प्यारे...! अब बस भी करो,
सिर्फ़ काम नही, थोडा ज़िन्दगी को भी महसूस करो...,
खाओ, पिओ, हँसो, गाओ, झूमों, नाचो, मौज करो...,
हकीकत में ना भले पर कम - से - कम ...
.. भूल से ही सही हमें याद तो करो...
हम तो हरदम देंगे यही दुआ आपको..
याद न भी करो तो क्या, चलो, एन्जॉय ही करो
जान - बुझकर न सही, मगर भूले से भी मेल किया करते थे...,
खुशी और गम में हमारा साथ दिया करते थे...,
लगता है सब खो गया है ... प्रोजेक्ट्स की डेड्लाइन्स में...,
न अपनी न हमारी, जाने किसकी यादों में...,
ज़िन्दगी को भुला चुके हैं, नौकरी की आड में...,
हरदम फ़ँसे रहते है, अपने पी.एम. के जाल में...,
कभी आओ मिलो हमसे, बैठकर बाते करो...,
दर्द - ए- दिल अपना कहो, हाले - ए - दिल हमारा सुनो...,
क्या रंजिश, क्या है शिकवा, क्या गिला और क्या खता... ;
हम भी जाने तुम भी जानो, आखिर क्या मंज़र क्या माजरा...,
बस भी करो अब...
कह भी दो, अपने दिल का हाल,
क्या करोगे खामोश रहकर
जो चली गई ये ज़िन्दगी, चला गया ये कारवां...;
जागो प्यारे...! अब बस भी करो,
सिर्फ़ काम नही, थोडा ज़िन्दगी को भी महसूस करो...,
खाओ, पिओ, हँसो, गाओ, झूमों, नाचो, मौज करो...,
हकीकत में ना भले पर कम - से - कम ...
.. भूल से ही सही हमें याद तो करो...
हम तो हरदम देंगे यही दुआ आपको..
याद न भी करो तो क्या, चलो, एन्जॉय ही करो
ऑर्कुट पर प्रेस क्लब
ऑर्कुट पर प्रेस क्लब
......................................................
एकटा नया सर्वे आयल अछि... सर्वे के कहवाक छै जे भारत में इंटरनेटक इस्तेमाल करय वाला करीब आधा लोगसोशल नेटवर्किंग में अपन समय बिताबय छथिन्ह... एहि मामला में ऑर्कुट नम्बर १ पर अछि... एकर बाद डेटिंगआओर वैवाहिक साइट सभ के नंबर अछि...आई काल्हि ऑर्कुट पर नेटवर्किंग के जोर पकड़ल अछि... मेट्रो सS लक छोट छोट शहर...गांव घर तक ऑर्कुट अपन पक़ड बनौले जा रहल अछि...कोनो साइबर कैफे में चलिजाउ...आधा स ज्यादा लोग ऑर्कुटियाब में लगल मिल जाइत....ओना एकर फायदा सेहो बड़ छै...दोस्त सभ खूबबनय छै...अहांक संगी सभ जे बिछुड़ गेल छथि...बहुत दिन स भेट घांटि नहिं बेल छै...ऑर्कुट के माध्यम ससम्पर्क में बनल रहि सकय छी...मुदा ऑर्कुट पर चिरकुटौय सेहो कम नहिं भ रहय अछि...हाल फिलहाल में कईटाएहन कांड भ गेल अ जहि स एकरा ऊपर सवाल सेहो उठय लागल अई...ई क्राइम... सेक्स...देह व्यापार के सहायकसेहो बनल जा रहल अछि...
एहि पर लोग सभ अपन अपन कम्युनिटी सेहो बनौले छथि...अपन विचारधारा...धर्म...जात... रोजगार...कामकाजस जुड़ल कम्युनिटी बनल अछि...ई लोक सभ के एकटा प्लेटफॉर्म उपलब्ध करबावय छै...
ऑर्कुट स हमहुं जुड़ल छी आओर मिथिलाक कम्युनिटी स सेहो जुड़ल छी...
असल में मिथिलांचल स सैकड़ों मिल दूर आबि हम सभ अपन अपन काम काज में लागल छी...एहि के कतेकहमर पत्रकार भाई लोकनि सेहो छैथि...सूचनाक आदान प्रदान जे हमर सभक शौक छल आब ओ पेशा बनि गेलअछि... आओर खबरक आपाधापी के बीच हम अपन लोक...गाम घर के नहिं भूलि....अपन पुरनका याद के जीवितराखि एकरा लेल मिथिलांचल प्रेस क्लब एकटा माध्यम बनि सकय अछि...अहां दुनिया के कोनो कोना में होय ईमंच के मार्फत आपस में मिल जुल सकय छी...अपन विचार रखि सकय छी...मीडिया के अंदर के खबर एक दोसरस शेयर क सकैत छी...मिथिलांचल विकासक बात के साथ साथ अपन लोक सभ के ईहो बता सकय छियए जेकोन जगह नौकरी के लेल लोक के जरूरत छै...ई मंच के माध्यम स हम पत्रकारिता स रूचि रखय वाला लोक सजुड़ि त सकय छी साथे...जे एहि क्षेत्र में आगा बढ़य चाहैत छैथि हुनका मार्गदर्शन सेहो क सकैत छी...त आउ एहिमंच पर अहांक स्वागत अछि...
......................................................
एकटा नया सर्वे आयल अछि... सर्वे के कहवाक छै जे भारत में इंटरनेटक इस्तेमाल करय वाला करीब आधा लोगसोशल नेटवर्किंग में अपन समय बिताबय छथिन्ह... एहि मामला में ऑर्कुट नम्बर १ पर अछि... एकर बाद डेटिंगआओर वैवाहिक साइट सभ के नंबर अछि...आई काल्हि ऑर्कुट पर नेटवर्किंग के जोर पकड़ल अछि... मेट्रो सS लक छोट छोट शहर...गांव घर तक ऑर्कुट अपन पक़ड बनौले जा रहल अछि...कोनो साइबर कैफे में चलिजाउ...आधा स ज्यादा लोग ऑर्कुटियाब में लगल मिल जाइत....ओना एकर फायदा सेहो बड़ छै...दोस्त सभ खूबबनय छै...अहांक संगी सभ जे बिछुड़ गेल छथि...बहुत दिन स भेट घांटि नहिं बेल छै...ऑर्कुट के माध्यम ससम्पर्क में बनल रहि सकय छी...मुदा ऑर्कुट पर चिरकुटौय सेहो कम नहिं भ रहय अछि...हाल फिलहाल में कईटाएहन कांड भ गेल अ जहि स एकरा ऊपर सवाल सेहो उठय लागल अई...ई क्राइम... सेक्स...देह व्यापार के सहायकसेहो बनल जा रहल अछि...
एहि पर लोग सभ अपन अपन कम्युनिटी सेहो बनौले छथि...अपन विचारधारा...धर्म...जात... रोजगार...कामकाजस जुड़ल कम्युनिटी बनल अछि...ई लोक सभ के एकटा प्लेटफॉर्म उपलब्ध करबावय छै...
ऑर्कुट स हमहुं जुड़ल छी आओर मिथिलाक कम्युनिटी स सेहो जुड़ल छी...
असल में मिथिलांचल स सैकड़ों मिल दूर आबि हम सभ अपन अपन काम काज में लागल छी...एहि के कतेकहमर पत्रकार भाई लोकनि सेहो छैथि...सूचनाक आदान प्रदान जे हमर सभक शौक छल आब ओ पेशा बनि गेलअछि... आओर खबरक आपाधापी के बीच हम अपन लोक...गाम घर के नहिं भूलि....अपन पुरनका याद के जीवितराखि एकरा लेल मिथिलांचल प्रेस क्लब एकटा माध्यम बनि सकय अछि...अहां दुनिया के कोनो कोना में होय ईमंच के मार्फत आपस में मिल जुल सकय छी...अपन विचार रखि सकय छी...मीडिया के अंदर के खबर एक दोसरस शेयर क सकैत छी...मिथिलांचल विकासक बात के साथ साथ अपन लोक सभ के ईहो बता सकय छियए जेकोन जगह नौकरी के लेल लोक के जरूरत छै...ई मंच के माध्यम स हम पत्रकारिता स रूचि रखय वाला लोक सजुड़ि त सकय छी साथे...जे एहि क्षेत्र में आगा बढ़य चाहैत छैथि हुनका मार्गदर्शन सेहो क सकैत छी...त आउ एहिमंच पर अहांक स्वागत अछि...
Friday, August 31, 2007
तुम तो ठहरे औरकुटवाले..
बप्पी दा इश्टाईल:
औरकुटिंग बिना चैन कहां रे…
स्करैपिंग बिना चैन कहां रे…
सोना नहीं चांदी नहीं,
औरकुट तो मिलाअरे औरकुटिंग कर ले….…
अल्ताफ राजा शैली:
तुम तो ठहरे औरकुटवाले..साथ क्या निभाओगे…
सुबह पहले..सुबह पहले मौके पेनेट पे बैठ जाओगे…
तुम तो ठहरे औरकुटवाले…साथ क्या निभाओगे..…
जॉनी वॉकर माफ़िक:
जब सर पे ख्याल मंडराएं,और बिल्कुल रहा ना जाए..
आजा प्यारे औरकुट के द्वारे,काहे घबराए… काहे घबराए…
सुन सुन सुन, अरे बाबा सुनइस औरकुटिंग के बड़े बड़े गुनहर औरकुटर बन गया है पंडितगूगल भी थर्राए…काहे घबराए… काहे घबराए…
औरकुटिंग बिना चैन कहां रे…
स्करैपिंग बिना चैन कहां रे…
सोना नहीं चांदी नहीं,
औरकुट तो मिलाअरे औरकुटिंग कर ले….…
अल्ताफ राजा शैली:
तुम तो ठहरे औरकुटवाले..साथ क्या निभाओगे…
सुबह पहले..सुबह पहले मौके पेनेट पे बैठ जाओगे…
तुम तो ठहरे औरकुटवाले…साथ क्या निभाओगे..…
जॉनी वॉकर माफ़िक:
जब सर पे ख्याल मंडराएं,और बिल्कुल रहा ना जाए..
आजा प्यारे औरकुट के द्वारे,काहे घबराए… काहे घबराए…
सुन सुन सुन, अरे बाबा सुनइस औरकुटिंग के बड़े बड़े गुनहर औरकुटर बन गया है पंडितगूगल भी थर्राए…काहे घबराए… काहे घबराए…
आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
आज एक बार फ़िर सुरज को उगता देखो
और चान्द को चान्दनी रात मे जागता देखो
क्या पता कल ये धरती
चान्द और सुरज हो ना हो
आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बातेऔर ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पताकल हो ना हो ….
और चान्द को चान्दनी रात मे जागता देखो
क्या पता कल ये धरती
चान्द और सुरज हो ना हो
आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बातेऔर ये यादें हो ना हो
आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पताकल हो ना हो ….
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
Subscribe to:
Comments (Atom)